
त्योहारों में जैसे मिठाइयों की डिमांड बढ़ती है, वैसे ही एयरलाइंस का किराया भी ‘दाम बढ़ाओ योजना’ में कूद पड़ता है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) अब कह रहा है — “बस बहुत हो गया, अब फ्लाइट सिर्फ आसमान में उड़े, आम आदमी की जेब से नहीं।”
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संसद समिति ने किया खुलासा: टिकट नहीं बिक रहे, लकी ड्रॉ चल रहा है!
लोक लेखा समिति (PAC) ने कहा कि कुछ फ्लाइट टिकट की कीमतें देखकर ऐसा लगता है मानो ये टिकट नहीं, क्रिप्टोकरेंसी के शेयर हों। महाकुंभ या आतंकी हमले के बाद किराया अचानक 4 गुना क्यों?
PAC की राय में अब ये “एयर ट्रैवल” नहीं, “एयर ट्रेडिंग” बन चुका है।
DGCA ने उड़ाई एयरलाइंस की नींद: नया नियम, नई परेशानी
DGCA की प्रस्तावित गाइडलाइन के मुताबिक, अब एयरलाइंस को बताना होगा कि किराया कैसे तय किया गया। यानी अब “याददाश्त के आधार पर रेट” नहीं, बल्कि दस्तावेज़ी सबूत देना होगा। त्योहारों में भावनाओं के साथ नहीं, किराए के साथ ईमानदारी करनी होगी।
मीटिंग में एयरलाइंस की हालत: “सॉरी सर, अगली बार ऐसा नहीं होगा”
DGCA की क्लास में एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट और अकासा जैसे दिग्गजों को बुलाया गया। सवाल सीधे थे, लेकिन जवाबों में ज़्यादातर “तकनीकी खराबी” आ गई। किसी को अचानक ट्रैफिक याद आया, किसी को ईंधन महंगा लगा — लेकिन PAC ने साफ कह दिया: “अब बहाने नहीं, रेटिंग दो!”
सुरक्षा भी रडार पर: किराया बढ़ाओ, लेकिन विमान मत गिराओ
बैठक में सांसदों ने ये भी कहा कि किराया बढ़ाना एक बात है, लेकिन सुरक्षा का भी ख्याल रखना चाहिए। सिविल एविएशन सिक्योरिटी ब्यूरो की ऑडिट की मांग करते हुए कहा गया — “आपका किराया आसमान छू रहा है, पर सुरक्षा ज़मीन पर पड़ी है।”
यात्रियों के लिए खुशखबरी: अब एयर टिकट और शेयर बाजार में फर्क होगा
अगर DGCA की ये गाइडलाइन लागू होती है, तो आम मुसाफिर को राहत मिल सकती है।
अब फ्लाइट टिकट लेना किडनी बेचने जैसा सौदा नहीं रहेगा।
आपातकाल, त्योहार और छुट्टियों में ब्लैक में टिकट खरीदने की मजबूरी ख़त्म हो सकती है।
अब फ्लाइट बुक करते समय “कृपया भगवान को याद करें” वाला भाव नहीं आएगा।
अब टिकट बुकिंग होगी सरल, और एयरलाइंस की अकड़ हल्की
DGCA का ये कदम उस मां की तरह है जो बच्चों से कहती है — “त्योहार में मिठाई खाओ, जेब नहीं काटो।”
एयरलाइंस को अब समझ लेना चाहिए कि यात्रियों की जेब में एयरबैग नहीं होता।
अगली बार जब आप टिकट बुक करें, तो दिल से बोलिए —
“चलो, आज जेब भी बची, और सीट भी मिल गई!”
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